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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...223 सुपरिणाम ___ • यह मुद्रा अग्नि एवं वायु तत्त्व को प्रभावित करते हुए तत्क्षण शान्ति की अनुभूति करवाता हैं तथा सिरदर्द, अनिद्रा आदि समस्याओं का निराकरण करता है। • मणिपुर एवं अनाहत चक्र को प्रभावित कर यह मुद्रा शक्ति एवं आरोग्य में वर्धन करती है तथा प्रेम, करुणा, मैत्री, सहानुभूति आदि भावों का निर्माण करती है। • एड्रिनल एवं थायमस ग्रंथियों को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा शरीर की आंतरिक प्रणालियाँ जैसे श्वसन क्रिया, रक्त परिसंचरण आदि को संतुलित एवं सुचारू बनाती है। 39. ईश्वर मुद्रा
भारत में यह मुद्रा 'ईश्वर' मुद्रा के नाम से है, किन्तु इसका प्रयोग जापानी बौद्ध परम्परा के श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता है। इसकी विधि निम्न हैविधि ___ दोनों हथेलियों को संयोजित कर अंगूठा, तर्जनी और कनिष्ठिका को ऊपर की ओर उठायें एवं अपने प्रतिरूप का स्पर्श करवायें, फिर मध्यमा और तर्जनी को बाह्य भाग से अन्तर्ग्रथित करें, तब यह मुद्रा ईश्वर मुद्रा कहलाती है।43
ईश्वर मुद्रा