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196... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
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अंजलि मुद्रा
सुपरिणाम
• यह मुद्रा पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व में संतुलन स्थापित करती है। इससे मांस, चर्बी, पाचन तंत्र आदि संतुलित रहते हैं तथा शरीर सुंदर, सुगठित, मजबूत, बलशाली एवं कान्तिमय बनता है। • मूलाधार एवं मणिपुर चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा मधुमेह, कब्ज, अपच, गैस एवं पाचन विकृतियों का निवारण करती है। • गोनाड्स एवं एड्रिनल ग्रंथियों को प्रभावित करते हुए यह नेतृत्व गुण में विकास, चारित्र निर्माण, रक्त परिभ्रमण, प्राणवायु आदि का संतुलन करती है। 18. अनुचित्त मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा के श्रद्धालुओं द्वारा धार्मिक अनुष्ठानों में अपनायी जाती है। अनुचित्त अर्थात चित्त का अनुसरण करने वाली। इस मुद्रा के प्रभाव से इन्द्रिय चेतना अतीन्द्रिय शक्ति के अभिमुख होती है।