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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ... 193
उपलब्ध सन्दर्भों के आधार पर इसमें बायां हाथ प्रवचन मुद्रा का सूचन करता है तथा दायाँ हाथ आध्यात्मिक एवं धार्मिक विवादों के समय पुस्तक धारण करने का सूचक माना गया है । सम्भवतः धार्मिक विवादों का अन्त करने के लिए एक हाथ में पुस्तक रखते हैं ताकि सटीक समाधान किये जा सकें। दूसरे हाथ के संकेतों द्वारा वाणी का प्रयोग किया जाता है जिसे प्रवचन मुद्रा की उपमा दी है। इस मुद्रा को कमर के स्तर पर धारण करते हैं।
अन्- आय-इन् मुद्रा
विधि
बायीं हथेली को बाहर की तरफ रखते हुए अंगूठा और तर्जनी के प्रथम पोर को मिलायें तथा शेष अंगुलियों को ऊपर की ओर करें । दायें हाथ की अंगुलियों को पुस्तक धारण की हुई मुद्रा के समान बनायें, इस तरह अन् - आयइन् मुद्रा बनती है।17