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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...183
अग्निशाला मुद्रा
थायमस ग्रंथियों के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा बच्चों के नैतिक, शारीरिक एवं बौद्धिक विकास में सहयोगी बनती है। यह देह में स्थित जल तत्त्व का संतुलन एवं ज्ञानतंतु, मज्जा कोष, बोन-मेरो आदि का भी नियमन करती है। 7. आह्वान मुद्रा
. आह्वान का शाब्दिक अर्थ है- बुलाना, पुकारना। यहाँ आह्वान का तात्पर्य मंत्रोच्चार के द्वारा देवी-देवताओं को आमन्त्रित करना है। जैन, हिन्दू एवं बौद्ध तीनों परम्पराओं में आह्वान मुद्रा का उल्लेख एवं विवरण प्राप्त होता है, किन्तु उसकी विधियों में अन्तर है।
जापानी बौद्ध परम्परा में इसे तान्त्रिक मुद्रा कहा गया है इसका प्रयोग मन्त्रोच्चार के साथ आह्वान के लिए ही किया जाता है। यह मुद्रा धर्मगुरुओं द्वारा निम्न विधि से की जाती है