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अठारह कर्त्तव्य सम्बन्धी मुद्राओं का सविधि विश्लेषण......151 शक्तिशाली बनता है, काम-क्रोधादि नियंत्रित होते हैं तथा शरीर के तेज एवं कांति में वृद्धि होती है। • इस मुद्रा का प्रभाव मणिपुर एवं अनाहत चक्र पर पड़ता है जो कि वक्तृत्व एवं कवित्व शक्ति, इन्द्रिय नियंत्रण, शारीरिक कान्ति आदि में वृद्धि करता है। • तैजस एवं आनन्द केन्द्र को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा भावों को निर्मल एवं उसे तनावमुक्त करती है। 10. महावज्रचक्र मुद्रा __यह मुद्रा भी अठारह कर्तव्यों के सन्दर्भ में की जाती है। शेष वर्णन पूर्ववत।
महावजचक मुद्रा विधि
हथेलियों को मध्यभाग में रखें, अनामिका और कनिष्ठिका को अन्तर्ग्रथित करें, मध्यमा को तर्जनी के पृष्ठ भाग से आगे की ओर लाएँ तथा अंगूठों को बाह्य किनारियों से संयुक्त रखने पर महावज्रचक्र मुद्रा बनती है।10 सुपरिणाम
• पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा हड्डियों