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150... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
आदि में सहयोग करती है तथा कामवृद्धि करती है।
म-वासनाओं को नियंत्रित कर आत्म तेज में
9. जौ - जु - म- को- कु इन् मुद्रा
जापान देश की बौद्ध परम्परा में यह तान्त्रिक मुद्रा भी अठारह कर्त्तव्यों के समय धारण की जाती है। इस मुद्रा को एक हाथ से करते हैं। यह दुगुने पवित्रीकरण एवं शुद्धिकरण की सूचक है।
जी- जु-म-को-कु इन् मुद्रा
विधि
बायीं हथेली को स्वयं की ओर रखते हुए अंगूठा और कनिष्ठिका के अग्रभागों को परस्पर स्पर्श करवायें तथा शेष तीन अंगुलियों को ऊपर उठाते हुए प्रथम जोड़ पर से किंचित झुकायें। तब जौ - जु-म-को-कु-इन् मुद्रा बनती है। सुपरिणाम
• यह मुद्रा आकाश एवं अग्नि तत्त्व को संतुलित करती है जिससे शरीर एवं नाड़ी शुद्धि होती है, पेट के विभिन्न अवयवों की क्षमता बढ़ती है, हृदय