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148... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन जोड़ से मोड़ते हुए अपने विरोधी के साथ अन्तर्ग्रथित करने पर रत्न वाहन मुद्रा बनती है।
रत्न वाहन मुद्रा सुपरिणाम
चक्र- स्वाधिष्ठान, विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- जल, वायु एवं आकाश तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन, थायरॉइड, पैराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य, विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, कान, नाक, गला, मुँह, स्वर यंत्र, स्नायु तंत्र एवं निचला मस्तिष्क। 8. शौ-छ-रौ-इन् मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा अठारह महाकर्तव्यों से सम्बन्धित है तथा जापानी बौद्ध परम्परा के धर्म गुरुओं और श्रद्धालुओं द्वारा धारण की जाती है। विद्वानों के अनुसंधान के आधार पर जो बुद्ध साधु छकड़ों या गाड़ियों पर चढ़कर आते हैं यह मुद्रा उनके स्वागत की सूचक है। यह मुद्रा दिखाकर उस तरह के बुद्ध सन्तों का सत्कार किया जाता है।