________________
138... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
.
शंखावर्त्त मुद्रा सुपरिणाम
• यह मुद्रा करने से अग्नि तत्त्व संतुलित होता है जिससे उदराग्नि प्रदीप्त होकर निद्रा सम्बन्धी समस्याएँ दूर होती है। क्रोध आदि कषाय भी शान्त होते हैं। • मणिपुर चक्र को जागृत कर यह मुद्रा पाचन सम्बन्धी विकृतियों का शमन एवं शारीरिक बल में वृद्धि करती है। • इस मुद्रा से एड्रिनल एवं पेन्क्रियाज का स्राव संतुलित होता है। __हर व्यक्ति जीवन में शुभ और मंगल की अभिलाषा करता है एवं तदहेतु प्रयासरत भी रहता है। तीर्थंकर आदि अतिशययुक्त महापुरुषों के लिए प्रकृति की हर वस्तु मंगलरूप हो जाती है। फिर भी अधिकांश परम्पराओं में आठ मांगलिक द्रव्यों की व्याख्या की गई है। बौद्ध परम्परा में भगवान बुद्ध के चरणों में आठ मांगलिक चिह्न होने की मान्यता है, उसी की स्मृति में एवं उन गुणों को प्राप्त करने हेतु तारा देवी के समक्ष तत्सम्बन्धी मुद्राएँ की जाती है। यह मुद्राएँ आध्यात्मिक समृद्धि के साथ शारीरिक स्वस्थता एवं जीवन में कल्याण की श्रृंखला को बनाए रखता है। यह मुद्रा इन्द्रिय एवं अतिन्द्रिय सुखों की उपलब्धि करवाएँ इसी उद्देश्य से इन मुद्राओं का उल्लेख यहाँ किया है।