________________
अष्टमंगल से सम्बन्धित मुद्राओं का स्वरूप एवं मूल्य......115 बौद्धिक दक्षता, कार्य कौशलता, ओजस्विता आदि का विकास करती है। . शक्ति केन्द्र को सक्रिय रखते हुए यह काम-वासनाओं पर नियंत्रण कर आध्यात्मिक शक्ति का ऊर्ध्वारोहण करती है। इसी के साथ व्यक्तित्व को उच्चता एवं तेजस्विता प्रदान करती है। 6. वज्र आलोक मुद्रा
यह मुद्रा बौद्ध परम्परा में अष्ट मंगल से सम्बन्धित सोलह आन्तरिक द्रव्य अर्पण की सूचक है। इस मुद्रा को ऐन्द्रिक सुखों की 16 देवियों में, विशेष रूप से वज्रायना देवी तारा की पूजा से सम्बन्धित माना गया है। यह संयुक्त मुद्रा छाती के स्तर पर धारण की जाती है। पूजा करते वक्त यह मन्त्र बोला जाता है'ओम् अह् वज्र आलोक हूम्।' दोनों हाथों में प्रतिबिंब की भाँति मुद्रा बनती है। विधि
हथेलियाँ स्वयं के सम्मुख, अंगुलियाँ हथेली की तरफ मुड़ी हुई, अंगूठा ऊपर की तरफ उठा हुआ रहे, फिर दोनों हाथों को समीप करने पर वज्र आलोक मुद्रा बनती है।
वज आलोक मुद्रा