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100... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
स्त्रीरत्न मुद्रा
सुपरिणाम ___ • पृथ्वी एवं जल तत्त्व को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा शरीर में हो रहे रासायनिक परिवर्तनों एवं व्यक्तित्व का संतुलन करती है। इससे शरीर बलिष्ठ, कान्तियुक्त एवं स्निग्ध बनता है। • इस मुद्रा के प्रयोग से मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र की शक्ति का जागरण होता है जिससे आरोग्य कर्म कौशलता, आध्यात्मिक तेजस्विता तथा नियंत्रण सामर्थ्य प्राप्त होता है। • इस मुद्रा के प्रयोग से बौद्धिक क्षमता एवं स्मृति का विकास होता है। शारीरिक स्थूलताजड़ता-रूक्षता आदि कम होते हैं। 4. पुरुष रत्न मुद्रा
इस तान्त्रिक मुद्रा को बौद्ध परम्परा में श्रद्धा-निष्ठा पूर्वक किया जाता है। यह सप्त रत्नों में से एक अनमोल मंत्री के भेंट की सूचक है। यह महासत्ता के सात रत्नों एवं अंतरिक्ष के अमूल्य खजाने का भी परिचय करवाती है। स्वरूपतः