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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की...
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पेंग्-सेदेत्फुत्थदमे
मुद्रा
इस मुद्रा में बायां पाँव उठा हुआ जैसे कदम आगे बढ़ाया जा रहा हो वैसे तथा दाहिना पाँव भूमि पर रहता है । 40
सुपरिणाम
• यह मुद्रा आकाश एवं अग्नि तत्त्व को प्रभावित करती है। इससे पेट के विभिन्न अवयवों की क्षमता बढ़ती है, हृदय शक्तिशाली बनता है, शरीर एवं नाड़ी शुद्धि होती है तथा विजातीय एवं विष तत्त्व शरीर से दूर होते हैं। • इस मुद्रा से सहस्रार एवं मणिपुर चक्र प्रभावित होते हैं। यह जीवन के आध्यात्मिक विकास में अत्यंत सहायक है। मस्तिष्क में मेरूजल का संचालन एवं कामेच्छा का नियमन करती है और असम्प्रज्ञात समाधि को प्राप्त करवाती है । • ज्ञान एवं तैजस केन्द्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा बुद्धि, स्मरण शक्ति, चिन्तन शक्ति, पूर्वजन्म की स्मृति आदि को तीव्र करती है । • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार यह मुद्रा यौन ग्रंथियों एवं शरीर में स्थित पानी का संतुलन करती है, कामेच्छाओं का नियंत्रण रखती है तथा नेतृत्व शक्ति एवं निर्णयात्मक शक्ति का