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________________ 86... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन पेंग्-सवोहमथुपयस मुद्रा प्रदान करते हुए मधुमेह, कब्ज, अपच, एसिडिटी आदि रोगों का शमन करती है। • एड्रिनल एवं गोनाड्स को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास, शारीरिक तंत्रों का सम्यक संचालन, रक्तचाप, सिरदर्द, कमजोरी आदि में फायदा करती है। 37. पेंग्-सेदेत्फुत्थदन्नन्य मुद्रा (गमन मुद्रा) यह संयुक्त मुद्रा बुद्ध द्वारा सहज रूप से आचरित की गई 40 मुद्राओं में से 37वीं मुद्रा है। इस मुद्रा को भगवान बुद्ध के चलने की सूचक माना गया है। इस क्रिया से सम्बन्धित और भी मुद्राएँ बताई गई हैं जो बुद्ध के विचरण की भिन्न-भिन्न स्थिति को दर्शाती है। यह संयुक्त मुद्रा चलते वक्त की जाती है। विधि दाहिना हाथ ऊपर उठा हुआ, सामने की तरफ अभिमुख, अंगलियाँ और अंगूठा शिथिल रूप से किंचित् झुका हुआ और छाती के स्तर पर रहे। बायां हाथ पार्श्वभाग में नीचे की ओर लटकता हुआ रहने पर पेंग्-मुद्रा बनती है।
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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