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72... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन को प्रभावित करती है जिससे आरोग्य, दक्षता, कार्य कुशलता की प्राप्ति होती है तथा विधेयात्मक ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन होता है। यह कब्ज, गैस, अपच, मधुमेह एवं पाचन तंत्र सम्बन्धी विकारों को भी दूर करती है। • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार इससे स्वप्नदोष, हस्तदोष, शारीरिक गर्मी आदि दूर होती हैं, कामेच्छा का शमन होता है तथा आधा सीसी, शराब की लत, B.P., एसिडिटी आदि नियंत्रित रहते हैं। 26. पेंग् फ्रतोप्युन् मुद्रा (खड़े रहने की मुद्रा)
यह मुद्रा थाई बौद्ध परम्परा में प्रचलित है। भारत में इस मुद्रा का नाम ‘लोलहस्त-लोलहस्त' है। यह बुद्ध के द्वारा धारण की गई 40 मुद्रा-आसनों में से छब्बीसवीं मुद्रा है। दर्शाये चित्र के अनुसार यह भगवान बुद्ध के खड़े रहने की सूचक है। भगवान बुद्ध किस तरह खड़े-खड़े साधना करते थे वह इस मुद्रा से स्पष्ट होता है।
पेंग्-फ्रतोप्युन् मुद्रा