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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की... ...63
19. पेंग् हम्यत् मुद्रा (स्वजन - कुटुम्बियों को नियंत्रित करने की मुद्रा ) यह मुद्रा थेरपद बौद्ध परम्परा (थायलैण्ड) में धारण की जाती है। इसे भारत में 'अभय लोलहस्त' मुद्रा कहते हैं। भगवान बुद्ध के जीवन चरित्र से सम्बन्धित 40 आसनों और मुद्राओं में से यह उन्नीसवीं मुद्रा है। भगवान बुद्ध इस मुद्रा के प्रयोग द्वारा पारिवारिक समस्याओं का निवारण करते थे। कुटुम्बियों को आत्मिक सुख का मार्ग बताते थे अतः इसे स्वजन नियन्त्रण की सूचक मुद्रा कहा गया है।
विधि
दायें हाथ को ऊपर उठाते हुए अंगुलियों को एक साथ ऊर्ध्व प्रसरित करें और हल्के से झुकायें तथा बायें हाथ को पार्श्व भाग में रखते हुए अंगुलियों एवं अंगूठे को नीचे की तरफ फैलाने पर पेंग् हम्यत् मुद्रा बनती है | 22
सुपरिणाम
पेंग्- चम्यत् मुद्रा
• यह मुद्रा जल एवं वायु तत्त्व का संतुलन करती है। रूधिर आदि तरल पदार्थों की सम्यक कार्य पद्धति में इसका विशेष सहयोग हो सकता है। हृदय में