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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की......57
अभय मुद्रा
15. पेंग-उह्म भत्र मुद्रा (भिक्षा ग्रहण मुद्रा)
थायलैण्ड में प्रचलित यह मुद्रा भारत में अंचिता-अंचिता मुद्रा नाम से जानी जाती है। यह भगवान बुद्ध की 40 मुद्राओं में से 15वीं मुद्रा है। कहते हैं कि भगवान बुद्ध दूरवर्ती प्रदेशों में भ्रमण करते समय इसी मुद्रा में आहार किया करते थे इसलिए यह पात्र द्वारा भिक्षा ग्रहण की सूचक है। इस मुद्रा में दोनों हाथ पात्र को पकड़े हुए के समान दिखते हैं। विधि ___दोनों हथेलियाँ ऊपर की ओर मुख की हुई, अंगुलियाँ और अंगूठे फैले हुए एवं किंचित झुके हुए तथा कमर के स्तर पर भिक्षा पात्र को ग्रहण किये हुए रहने पर पेंग्-उल-भत्र मुद्रा बनती है।17