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अनुक्रमणिका अध्याय-1 : मुद्राओं से प्रभावित सप्त चक्र आदि के विशिष्ट
प्रभाव 1. सप्त चक्रों पर मुद्रा के प्रभाव 2. ग्रन्थि तन्त्रों पर मुद्रा के प्रभाव 3. चैतन्य केन्द्रों पर मुद्रा के प्रभाव 4. पाँच तत्त्वों पर मुद्रा के प्रभाव। अध्याय-2 : हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं का प्रासंगिक स्वरूप
30-72 1. अंचित मुद्रा 2. अराल मुद्रा 3. अर्चित मुद्रा 4. आवाहन मुद्रा 5. चन्द्रकला मुद्रा 6. चतुरहस्त मुद्रा 7. चतुर मुद्रा 8. चिन् मुद्रा 9. दंड मुद्रा 10. धेनु मुद्रा 11. गदा मुद्रा 12. गजहस्त मुद्रा 13. हंस मुद्रा 14. हरिण मुद्रा 15. हस्त स्वस्तिक मुद्रा 16. कपित्थ मुद्रा 17. कश्यप मुद्रा 18. कटि मुद्रा 19. कटिग मुद्रा 20. कट्यावलम्बित मुद्रा 21. कूर्पर मुद्रा 22. मुकुल मुद्रा 23. निद्रातहस्त मुद्रा 24. पद्म मुद्रा 25. पताका मुद्रा 26. प्रवर्तित हस्त मुद्रा 27. पुष्पाञ्जलि मुद्रा 28. पुष्पपुट मुद्रा 29. सर्पकार मुद्रा 30. सिंहकर्ण मुद्रा 31. तत्त्व मुद्रा 32. वज्रपताका मुद्रा 33. वन्दना मुद्रा 34. विस्मय मुद्रा 35. विस्मय वितर्क मुद्रा। अध्याय-3 : शारदातिलक, प्रपंचसार आदि पूर्ववर्ती ग्रन्थों में
. उल्लिखित मुद्राओं का सोद्देश्य स्वरूप 73-131 मतंग पारमेश्वर में निर्दिष्ट मुद्राएँ- 1. शक्ति मुद्रा 2. बीज मुद्रा 3. प्रशांत मुद्रा 4. आवाहन मुद्रा 5. संहार मुद्रा।
शारदातिलक तंत्र में वर्णित मुद्राएँ- 1. आवाहनी मुद्रा 2. स्थापनी मुद्रा 3. सन्निधापनी मुद्रा 4. सन्निरोधनी मुद्रा 5. सम्मुखीकरणी मुद्रा 6. सकलीकृति मुद्रा 7. अवगुण्ठनी मुद्रा 8. धेनु मुद्रा 9. महामुद्रा।
शारदातिलक तन्त्र पर रचित राघव भट्टीय टीका की मुद्राएँ- 1. मूसल मुद्रा 2. योनि मुद्रा 3. चक्र मुद्रा 4. गालिनी मुद्रा 5. गरुड़ मुद्रा 6. गन्ध मुद्रा 7. ज्वालिनी मुद्रा 8. ज्ञान मुद्रा 9. पुस्तक मुद्रा 10. व्याख्यान मुद्रा