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________________ हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में ...li 1. हमारे द्वारा दर्शाए गए मुद्रा चित्रों के अंतर्गत कुछ मुद्राओं में दायाँ हाथ दर्शक के देखने के हिसाब से माना गया है तथा कुछ मुद्राओं में दायाँ हाथ प्रयोक्ता के अनुसार दर्शाया गया है। 2. कुछ मुद्राएँ बाहर की तरफ दिखाने की है उनमें चित्रकार ने मुद्रा बनाते समय वह Pose अपने मुख की तरफ दिखा दिया है। 3. कुछ मुद्राओं में एक हाथ को पार्श्व में दिखाना है उस हाथ को स्पष्ट दर्शाने के लिए उसे पार्श्व में न दिखाकर थोड़ा सामने की तरफ दिखाया 4. कुछ मुद्राएँ स्वरूप के अनुसार दिखाई नहीं जा सकती है अत: उनकी यथावत् आकृति नहीं बन पाई हैं। 5. कुछ मुद्राएँ स्वरूप के अनुसार बनने के बावजूद भी चित्र में स्पष्टता नहीं उभर पाई हैं। 6. कुछ मुद्राओं के चित्र अत्यन्त कठिन होने से नहीं बन पाए हैं। मुद्रा योग का यह चतुर्थ खण्ड निम्न सात अध्यायों में वर्गीकृत है और इसमें हिन्दू परम्परागत मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में बताई गई है। __प्रथम अध्याय में मुद्रा प्रयोग से सूक्ष्म शरीर के शक्ति स्थानों पर होने वाले प्रभावों की चर्चा की गई हैं। द्वितीय अध्याय में हिन्दू परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का सटीक वर्णन किया गया है। तृतीय अध्याय में हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रन्थों में उल्लिखित मुद्राओं का सचित्र विवेचन किया गया है। चतुर्थ अध्याय में गायत्री जाप साधना में उपयोगी मुद्राओं का प्रभावपूर्ण निरूपण किया गया है। पंचम अध्याय में हिन्दू एवं बौद्ध दोनों परम्परा में समान रूप से मान्य मुद्राओं पर विचार किया गया है। ___षष्ठम अध्याय में देवार्चन, नित्य उपासना, होम आदि के समय प्रयोग की जाने वाली मुद्राओं का प्रतिपादन है। सप्तम अध्याय में रोगोपचार में सहयोगी हिन्दू मुद्राओं का चार्ट दिया गया है जिसे उपसंहार कहा जा सकता है।
SR No.006255
Book TitleHindu Mudrao Ki Upayogita Chikitsa Aur Sadhna Ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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