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320... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
___ मनुष्य की प्रत्येक क्रिया का लक्ष्य सुख, शान्ति एवं समाधि की प्राप्ति है। शास्त्रों में 'पहला सुख निरोगी काया' माना गया है। क्योंकि दैहिक अस्वस्थता समस्त क्रियाओं में अस्थिरता को बढ़ा देती है। इसी प्रकार मानसिक अशान्ति एवं भावात्मक असमाधि भी जीव के प्रगति मार्ग में बाधक बनती है। धर्म प्रवर्तकों ने आचार व्यवस्था का गुंफन करने से पूर्व इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि कोई भी क्रिया साधक के सर्वांगीण विकास में सहयोगी बने। हर मद्रा शरीर के किसी न किसी अंग प्रत्यंग को प्रभावित करती है एवं तत्सम्बन्धी रोगों का निदान करती है। उपरोक्त वर्णन से हिन्दू परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की उपयोगिता साधना एवं चिकित्सा दोनों ही क्षेत्रों में प्रमाणित हो जाती है।