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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ... 263
11. पल्लव मुद्रा
दायीं हथेली को सामने की ओर करके अंगुलियों को पृथक-पृथक फैला देना, पल्लव मुद्रा है।
पल्लव मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र
विशुद्धि सहस्रार एवं अनाहत चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व केन्द्र - विशुद्धि, ज्ञान एवं आनंद केन्द्र ग्रन्थि - थायरॉइड, पेराथायरॉइड, पिनियल एवं थायमस ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- कान, नाक, गला, मुँह, आँख, स्वरयंत्र, ऊपरी मस्तिष्क, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ एवं रक्त संचार तंत्र।