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252... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में 3. व्याख्यान मुद्रा
दक्षिणांगुष्ठतर्जन्या, अग्रलग्ने पराङ्मुखे।
प्रसार्य संहितोत्ताना, ह्येषा व्याख्यान मुद्रिका ।। दायीं तर्जनी और अंगूठे के अग्रभागों को संयुक्त कर शेष अंगुलियों को आपस में मिलाते हुए ऊपर की ओर उठाना, व्याख्यान मुद्रा है।
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व्याख्यान मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- मणिपुर एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व केन्द्रतैजस एवं ज्योति केन्द्र प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँतें, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।