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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...233 10. व्यान मुद्रा
अंगूठे के अग्रभाग को मध्यमा के अग्र भाग से संयुक्त करें, फिर मध्यमा अंगुली के नख पर तर्जनी के अग्रभाग को रखें तथा शेष अंगुलियों को सीधी रखने पर व्यान मुद्रा बनती है।
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व्यान मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- सहस्रार, आज्ञा एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- आकाश एवं जल तत्त्व केन्द्र- ज्ञान, ज्योति एवं स्वास्थ्य केन्द्र ग्रन्थि- पिनियल, पीयूष एवं प्रजनन ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क, आँख, स्नायु तंत्र, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग एवं गुर्दे।