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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...231 8. प्राण मुद्रा
अंगूठों के अग्रभाग को अनामिका और कनिष्ठिका के अग्रभागों से स्पर्शित करना, प्राण मुद्रा है।
प्राण मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र- आज्ञा, अनाहत एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- आकाश, वायु एवं पृथ्वी तत्त्व केन्द्र- दर्शन, आनंद एवं शक्ति केन्द्र प्रन्थि- पीयूष, थायमस एवं प्रजनन ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, हृदय, फेफड़ें, रक्त संचार प्रणाली, मेरूदण्ड, गुर्दे।