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174... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
यह मुद्रा योग तत्त्व मुद्रा विज्ञान की परम्परा में श्रद्धालुओं द्वारा धारण की जाती है। यह गायत्री जाप के अनन्तर की जाने वाली 8 मुद्राओं में से एक संयुक्त मुद्रा है।
विधि
इस मुद्रा को बनाते वक्त दोनों हथेलियों की एड़ी अथवा निचला हिस्सा स्पर्श करता हुआ रहे, अंगूठे बाह्य किनारियों से एवं कनिष्ठिकाएँ प्रथम पोर (अग्रभाग) से स्पर्श करती हुई रहें तथा शेष अंगुलियों को पृथक्-पृथक् बाहर की तरफ अभिमुख करने पर पंकज मुद्रा बनती है।
यह मुद्रा अष्टदल मुद्रा के समान कमर के स्तर पर धारण की जाती है। 31
पंकज मुद्रा
लाभ
चक्र - मूलाधार एवं अनाहत चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं वायु तत्त्व केन्द्रशक्ति एवं आनंद केन्द्र ग्रन्थि - प्रजनन एवं थायमस ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, हृदय, फेफड़ें, रक्त संचरण तंत्र आदि ।