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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...45
गजास्त मुद्रा
लाभ
चक्र- आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व ग्रन्थि- पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमस्तिष्क, स्नायु तंत्र एवं आँख। 13. हंस मुद्रा
यह मुद्रा हिन्दू परम्परा में देवताओं के द्वारा या उनके लिए धारण की जाती है। विद्वज्ञों के अनुसार यह विवाह के पवित्र धागे, प्रवर्तन, दीक्षा और पानी के बूंद की सूचक है।
इस मुद्रा में हंस के सिर की आकृति प्रतीत होती है अत: इसका नाम हंस मुद्रा है। यह माला पकड़ने की मुद्रा भी हो सकती है।
विधि
दायी हथेली को स्वयं की तरफ करते हुए अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा को