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सज्जन मन की अभिव्यक्ति | आज सर्वत्र छाया हुआ है
आतंकी आवेश, वैज्ञानिक उन्मेष और वैचारिक विद्वेष बढ़ रहा है जगत में__ प्रतिस्पर्धात्मक भाव, आपसी मन मुटाव और संबंधों में
अलगाव गौण होता जा रहा हैपारिवारिक सदभाव, सामाजिक समयाव और वैयक्तिक प्रेम भाव
इसलिए अब आवश्यक है... संतुलित रहे मन-वचन-काया का व्यापार
___ सीमित हो लक्ष्यहीन दौड़ धाग नियंत्रित हो विलासिता एवं परियह के भाव
जैनाचार्यों ने बताया तद्हेतु अमृत अनुष्ठान मुद्रा प्रयोग से करिस सर्वत्र मंगल विधान
सर्व विघ्न हर लेता और देता मोक्ष निधान साधक वर्ग के सर्वांगीण विकास के लिए
एक अभिनव आयाम...