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252... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा परम + इष्ट अर्थात जिससे बढ़कर अन्य कोई हो नहीं सकता उसे परम कहते हैं। अरिहन्त सिद्ध आचार्य उपाध्याय और साधु परम रूप से इष्ट हैं, अत: परमेष्ठी कहलाते हैं। ___ इस मुद्रा का प्रयोग महान कार्यों को साधने हेतु किया जाता है। इसका बीज मन्त्र 'ऋ' है। विधि ____ "अस्या एव पंचयोनिर्नामांतरं।"
इस मुद्रा का अपर नाम पंचयोनि मुद्रा है। 13. त्रिद्वार जिनालय मुद्रा
इस मुद्रा के माध्यम से तीन द्वार युक्त जिनालय की कल्पना को प्रतिबिम्बित किया जाता है, इसलिए यह त्रिद्वार जिनालय मुद्रा है।
यह मुद्रा तीन द्वार से सुशोभित जिनालय की स्थापना एवं उस जिनालय की प्रतिष्ठा आदि के निमित्त करते हैं।
इस मुद्रा का बीज मन्त्र ‘ल है।
त्रिद्वार जिनालय मुद्रा