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224... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
माला मुद्रा पद्धतियाँ प्रचलित हैं तथा उनके पीछे पृथक-पृथक प्रयोजन भी रहे हुए हैं। यहाँ जाप करने की एक पद्धति का उल्लेख है, उसे तर्जनी जाप मुद्रा कह सकते हैं।
यह मुद्रा पूजा कर्म को अतिशय प्रभावी बनाने के उद्देश्य से प्रयुक्त की जाती है। विधि
"दक्षिणेकरे योजितप्रदेशिन्यपृष्ठे निरालम्बधारिते मालामुद्रा।"।
दाहिने हाथ की अंगुलियों को मिलाकर तर्जनी अंगुली को झुकाकर उसे अंगूठे के ऊपर स्थापित करने से तर्जनी मुद्रा बनती है। सुपरिणाम
• शारीरिक स्तर पर यह ब्रेन ट्यूमर, कोमा, मिरगी, गला, मुँह, कान आदि की विविध समस्याओं को न्यून कर शरीर को स्वस्थ रखती है।
यह मुद्रा अनिद्रा एवं अति निद्रा की बीमारी का निवारण करती है। अधिकांश व्यक्तियों को जाप आदि के वक्त निद्रा आ जाती है। इस मुद्रा से जाप करने पर निद्रा रोग से बचा जा सकता है।