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________________ 200... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 5. विनीत मुद्रा विनीत अर्थात झुका हुआ। इस मुद्रा में हाथ जुड़े हुए और मस्तक झुका रहता है इसलिए इसे विनीत मुद्रा कहा गया है। लौकिक व्यवहार में अतिथि के सत्कार-सम्मान हेतु इसी मुद्रा का प्रयोग करते हैं। यह मुद्रा प्रयत्न साध्य नहीं है। इसमें भावनात्मक पक्ष की प्रबलता रहती है । जहाँ, जिसके प्रति अपनापन हो, पूज्य भाव हो वहाँ हाथ एवं मस्तक स्वयमेव जुड़ जाते हैं। कई बार औपचारिक प्रवृत्तियों का निर्वहन करने हेतु भी इस मुद्रा का प्रयोग करते हैं और सूक्ष्मता से वह भी लाभकारी होती है। आचारदिनकर के अभिमतानुसार विनीत मुद्रा पूजा आदि के उद्देश्य से की जाती है। विधि "नम्रः शिरसः करयोजने कृते विनीत मुद्रा । " दोनों हाथ जोड़ते हुए मस्तक झुकाना विनीत विनीत मुद्रा मुद्रा है।
SR No.006254
Book TitleJain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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