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196... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
पीयूष एवं प्रजनन ग्रन्थि के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा शरीर की आन्तरिक हलन-चलन, रक्त शर्करा, रक्तचाप, तापमान, कामेच्छा आदि को नियंत्रित रखती है।
3. आरात्रिक मुद्रा
संस्कृत कोश के अनुसार भगवान के समक्ष आरती उतारना आरात्रिक कहलाता है। आरती उतारने का दीपक भी आरात्रिक कहा जाता है। आरात्रिक का अपभ्रंश रूप है आरती ।
सामान्यतया आरती में पाँच दीपक होते हैं। जैन विज्ञान के अनुसार ये दीपक पाँच ज्ञान के सूचक हैं। इससे मिथ्यात्व रूपी अंधकार का क्षय होकर क्रमशः सम्यक्त्व रूपी सद्ज्ञान का आलोक प्रसारित होता है ।
इसे प्रतीकात्मक दृष्टि से प्रकाश का द्योतक और अंधकार का नाशक कहा जा सकता है। आरती शब्द का एक अर्थ यह भी किया जाता है आ- नहीं हो, रति - - ममत्त्व भाव अर्थात जिस क्रिया से ममत्त्व (आसक्ति) भाव नहीं टिकता हो
आरात्रिक मुद्रा