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164... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
• हृदय सम्बन्धी रोग, धड़कन बढ़ना,श्वास नली में सूजन, बेचैनी, कर्ण सम्बन्धी रोग, गर्दन की अकड़न दूर करती है।
• इस मुद्रा के द्वारा प्रभावित दबाव बिन्दु से शारीरिक ऊर्जा एवं पित्ताशय सुचारु रूप से क्रियाशील रहते हैं। 63. डमरूक मुद्रा
एक प्रकार का अव्यक्त शब्द वाला बाजा डमरू कहलाता है। इस वाद्य यन्त्र को प्राय: कापालिक साधु बजाया करते हैं। वैदिक मान्यतानुसार भगवान शिव के हाथ में हमेशा डमरू रहता है। इस परम्परा में शिव को नृत्य का देवता भी माना गया है। इससे यह रहस्य प्रकट होता है कि शिव भगवान नृत्य के समय डमरू का उपयोग करते हैं। शिव, संहारक शक्ति के देवता भी माने जाते हैं। इसका अभिप्राय यह है कि भगवान शिव क्रोधावेश के समय डमरू का प्रयोग करके प्राणी मात्र को भयभीत करते हों अथवा संहार लीला की सूचना देते हों।
मदारी भी बन्दर, सूअर आदि को नचाने के लिए डमरू ही बजाते हैं।
डमरुक मुद्रा