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116... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 40. श्रीमणि मुद्रा
'श्री' शब्द समृद्धि और प्रतिष्ठा का तथा 'मणि' शब्द मूल्यवान रत्न का सूचक है। जिस विद्या देवी की सम्यक आराधना से समृद्धि और अमूल्य रत्न की प्राप्ति होती है, उसे श्रीमणि मुद्रा कहते हैं।
यहाँ मणि शब्द से चिन्तामणि रत्न भी ग्रहण होता है। जिस तरह चिन्तामणि रत्न सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करता है उसी तरह श्रीमणि मुद्रा से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है। यह मुद्रा जिस अनुष्ठान के निमित्त दिखायी जाती है वह समग्र दृष्टियों से सफलदायी हो, इस तरह की भावना पूर्ण होती है। इससे बोध होता है कि श्रीमणि मुद्रा इच्छापूर्ति की सूचक है।
जब किसी व्यक्ति की अंतरंग इच्छा पूर्ण होती है तब वह स्वभावत: हर्षित होता है और उसे सन्तोष की अनुभूति होती है। इस तरह यह मुद्रा हर्ष और सन्तोष की प्रतीक है।
रत्न प्रकाशवान, निर्मल और स्वच्छ होता है। सांकेतिक रूप में यह मुद्रा
श्रीमणि मुद्रा