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58... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा करने में सहायक बनती है। शरीर के तापमान का संतुलन करने बालों के बढ़ने एवं स्वर सुधारने में भी यह मुद्रा सहायक बनती है।
• मानसिक दृष्टि से यह मुद्रा स्मरण शक्ति बढ़ाती है। इससे वैचारिक प्रदूषण समाप्त होते हैं और प्रतिक्रिया की भावनाएँ दूर होती हैं।
• आध्यात्मिक दृष्टि से काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि विषय-कषायों का शमन होता है। 13. संनिधानी मुद्रा
संस्कृत का संनिधान शब्द संयोगवाची और निकटतावाची अर्थों को प्रकट करता है। संस्कृत कोश में इन्हीं अर्थों का उल्लेख है जैसे मिलाकर रखना, साथ-साथ रखना, सामीप्य, उपस्थिति आदि। प्रस्तुत सन्दर्भ में सामीप्यता या निकटता अर्थ अधिक उचित लगता है।
यह मुद्रा पूर्व प्रसंग से सम्बन्धित है। जैसे कि आवाहन मुद्रा के द्वारा देवीदेवताओं को आमन्त्रित किया जाता है, स्थापनी मुद्रा के द्वारा आमन्त्रित देवी
संनिधानी मुद्रा