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मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में .. .xix
साध्वी श्री इसी प्रकार जिनशासन की सेवा में समर्पित रहकर स्वपर विकास में उपयोगी बनें, यही मंगलकामना ।
विदुषी आर्या रत्ना सौम्यगुणा श्रीजी ने जैन विधि विधानों पर विविध पक्षीय बृहद शोध कार्य संपन्न किया है। चार भागों में विभाजित एवं 23 खण्डों में वर्गीकृत यह विशाल कार्य निःसंदेह अनुमोदनीय, प्रशंसनीय एवं अभिनंदनीय है।
मुनि महेन्द्रसागर 1.2.13 भद्रावती
शासन देव से प्रार्थना है कि उनकी बौद्धिक क्षमता में दिन दुगुनी रात चौगुनी वृद्धि हो । ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम ज्ञान गुण की वृद्धि के साथ आत्म ज्ञान प्राप्ति में सहायक बनें।
यह शोध ग्रन्थ ज्ञान पिपासुओं की पिपासा को शान्त करे, यही मनोहर अभिलाषा ।
दूध को दही में परिवर्तित
करना सरल है। जामन डालिए और दही तैयार हो जाता है।
महत्तरा मनोहर श्री चरणरज प्रवर्त्तिनी कीर्तिप्रभा श्रीजी
इसी प्रकार अध्ययन एक अपेक्षा से सरल है, किन्तु
किन्तु, दही से मक्खन निकालना कठिन है। इसके लिए दही को मथना पड़ता है। तब कहीं
जाकर मक्खन प्राप्त होता है।
तुलनात्मक अध्ययन कठिन है। इसके लिए कई शास्त्रों को मथना पड़ता है।