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________________ उपसंहार ...89 भगवान महावीर, भगवान बुद्ध आदि कई महापुरुषों ने इस विद्या को अपनाया ही नहीं, प्रत्युत इसे आत्मसात कर जन्म-मरण की परम्परा का भी विच्छेद कर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि मुद्रा विज्ञान प्राचीन भारतीय ऋषियों की एक विचित्र खोज है तथा आधुनिक विज्ञान की अणु धारा से भी अधिक सूक्ष्म, गहन, सारगर्भित एवं विस्तृत है । प्राचीन शास्त्रों के विधानानुसार तो यह मानव पिंड के प्रत्येक सूक्ष्म रहस्य को स्पष्ट और प्रत्यक्ष करने का सरल साधन हैं। इस विज्ञान विधि के द्वारा वैश्विक जगत् में ऐसे विचित्र परिवर्तन किए जा सकते हैं जो आधुनिक विज्ञान के लिए सर्वथा असम्भव है। आधुनिक पाश्चात्य विज्ञान तो प्राकृतिक सिद्धान्तों की ओर ध्यान ही नहीं देता, जबकि भारतीय संस्कृति प्रकृति से तादात्म्य रखने में विश्वास करती है क्योंकि वह तो चर-अचर जगत का आधार है। इस तरह मुद्रा योग का महत्त्व इसलिए भी है कि उसके मूल में प्रकृति का आधार है। जहाँ प्रकृति हो वहीं वास्तविकता और तात्त्विकता का पुट रहता है।
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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