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संदर्भ सूची
1. हस्त पताका
कर्तरी मुख
हंस पक्षश्च
मुद्रा योग के प्रकार एवं वैज्ञानिक परिशीलन ...35
2. मुद्रा तत्र
कटको
मुद्राख्या, शंखश्च, शुकतुण्ड शिखरोपि, हंसस्य
अर्धचन्द्रश्च मुकटो, भ्रमरः
पल्लव रिक्त पताकाश्च, पुनः सर्पशिर संज्ञो, अराल ऊर्णनाभश्च, चतुर्विंशतिरित्यैव, कर
चतुर्विधा काय, पूर्णेन रूपेण,
अंगुली न्यास भेदेन,
सर्वांवस्था स्वेक रूपा,
मन्त्रतन्मयता मुद्रा, ध्येयतन्मयता
मुद्रा,
3. मनोजा गुरु वक्त्रस्था,
मृगशीर्षः
वर्धमानक
मुकुला
शास्त्र
मुष्टिरित्यपि।
कपित्थकः ॥
पुनरंजलि |
शुचिकामुखः ॥
हृदयस्तथा ।
इत्यपि ।।
कटकामुख |
सभ्यताः ॥
संगीत रत्नाकार, भा. 4, अध्याय 7
भेदतः ।
वर्णये ॥
तन्त्रालोक,
करवाक्चित्त
खेचरीमेव
बहुमार्गगा ।
कायिकी ।
प्रकीर्तिता ।
परिकीर्तिता ॥
तन्त्रालोक, 32/ 9 की टीका
करजा
वृत्तिर्मुद्रा च
विलापाख्या
मानसी
वाग्भवा मन्त्र सम्भवा ।
देहोद्भवाङ्ग विक्षेपै, मुद्रेयं त्रिविधा स्मृता ॥
स्वच्छन्दतन्त्र, भा. 1, 2/102 की टीका
4. घेरण्ड संहिता, 3/1-3 की व्याख्या
5. घेरण्ड संहिता, 3/4-5 की व्याख्या
6. मालिनी विजयोत्तर तन्त्र, संपा. मधुसूदन कौल, 7/1
7. मोचयन्ति
महाघोरात्संसार
मकराकरात् । द्रावयन्ति पशोः पाशांस्तेन मुद्रा हि शक्तयः ॥
32/9
तन्त्रालोक, भा. 7-32/50 की व्याख्या
8. मुद्रा मोचयते पाश, जालतोऽशेषात् ।