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तवंग
तल
तरंग
तरंग पोतिका : तोड़ा युक्त शीर्ष, जिसका गोटा घुमावदार होता है। : दक्षिण भारतीय स्तम्भ का एक गद्दीनुमा भाग।
ताडि
: बारह अंगुली का मान।
: एक प्रकार की कंगूरों की डिजाइन।
:
अनेक प्रकारों एवं डिजाइनों का अलंकृत द्वार, दोनों स्तम्भों के बीच में वलयाकार आकृति, मेहराब, कमान।
: चौकी मंडप
ताल
तिलक
तोरण
त्रिक
त्रिक मंडप
त्रिकूट
त्रिशाख
त्रिवलि
त्र्यंश
दण्ड
दण्ड छाद्य
दल
दारु
परिशिष्ट ... 663
: प्रासाद के थर आदि में छोटे आकार के तोरण वाले स्तंभ
युक्त रूप
: मन्दिर, विमान या गोपुर का एक खंड, नीचे का भाग। : एक लहरदार डिजाइन जो पश्चिम के एक गोटे से मिलती जुलती है।
दिग्मूढ़
दीर्घ
देवकुलिका
: तीन चतुष्कियों का खांचों सहित मंडप।
:
तीन विमान जो एक ही अधिष्ठान पर निर्मित हो अथवा एक ही मंडप से संयुक्त हो ।
: तीन अलंकृत पक्खों सहित चौखट द्वार।
: पेट के ऊपर पड़ती तीन सलवटें ।
: तीसरा भाग, तृतीयांश ।
: ध्वजा लटकाने का दण्ड (लकड़ी) ।
: छत का सीधा किनारा, (छदितट प्रक्षेप)।
: फालना।
: लकड़ी, कारीगर ।
: भयंकर ।
दारुण
दिक्
: दिशा
दिक्पाल : दिशा के अधिपति देव ।
दिक्साधन : दिशा का ज्ञान करने की क्रिया ।
: प्रासाद, गृह का टेढ़ापन ।
: लम्बाई ।
: लघु मंदिर, भमती के सम्मुख स्थित सह मन्दिर ।