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________________ 622... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन तीर्थंकर पुरुषों के चिह्न सभी तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ वीतराग स्वरूप को दर्शाती हुई एक समान होती है। किसी चिह्न विशेष के बिना किसी भी तीर्थंकर प्रतिमा की पहचान करना असंभव है इसलिए उनके चिह्नों का निर्धारण किया गया है। यह निश्चय सौधर्म इन्द्र के द्वारा प्रभु के जन्माभिषेक के अवसर पर उनके दाहिने अंगूठे पर बने चिह्न को देखकर किया जाता है। तीर्थंकर प्रतिमा की स्थापना के समय यही चिह्न उनकी पादपीठ पर अंकित करते हैं उससे अमुक-अमुक तीर्थंकर का स्पष्ट बोध हो जाता है। श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परम्पराओं में इस विषयक किंचिद् मतान्तर है। श्वेताम्बर अनुमत शिल्परत्नाकर एवं दिगम्बर मान्य पूज्यपादाचार्यकृत निर्वाणभक्ति के अनुसार चौबीस तीर्थंकरों की चिह्न सारणी निम्न प्रकार है क्रमांक तीर्थंकर | चिह्न (श्वे.) - चिह्न (दिग.) ऋषभनाथ बेल 2. | अजितनाथ गज गज 3. | संभवनाथ अश्व अश्व ___4. | अभिनंदननाथ वानर वानर
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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