________________
528... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन यतना पालन एवं शुभ भावों की अक्षुण्णता को बनाए रखने के उद्देश्य से पहनते हैं। वर्तमान में कई आचार्य कंकण-मुद्रिका के स्थान पर केशर-बादला से भी उस प्रकार का आलेखन करवा कर नेकाचार पूर्ण करते हैं। नूतन बिम्बों का आवश्यक कर्म सम्पन्न करते समय आचार्य के द्वारा तर्जनी और रौद्र मुद्रा क्यों दिखायी जाती है?
मुद्रा प्रयोग एक तान्त्रिक कर्म है। प्रतिमा में कोई दुष्ट देव अधिष्ठान कर बैठा हो तो उस क्षुद्रतत्त्व को भगाने के लिए तर्जनी एवं रौद्र मुद्रा दिखाते हैं। नूतन बिम्बों को मुद्गर आदि अन्य मुद्राएँ दिखाने का अभिप्राय क्या है?
इस विधि का गूढार्थ जानने के लिए मंत्र-तंत्र प्रधान शास्त्रों का ज्ञान आवश्यक है। सामान्यतया बिम्ब का रक्षण एवं उसे स्थायित्व प्रदान करने के लिए मुद्राओं के दर्शन करवाते हैं। नूतन बिम्बों के दाहिने हाथ में पंचरत्न की पोटली एवं सफेद सरसों की पोटली क्यों बाँधते हैं?
यह एक रक्षा पोटली है। इसे जिनबिम्बों को बुरी नजर से बचाने एवं भूतप्रेत आदि दुष्ट शक्तियों से रक्षा करने के उद्देश्य से बांधते हैं। अठारह अभिषेक के दौरान गरूड़, मुक्ताशुक्ति एवं परमेष्ठी मुद्राएँ क्यों दिखाते हैं?
अठारह अभिषेक के अन्तर्गत गरूड़ मुद्रा दिखाने से यदि वातावरण में विष आदि व्याप्त हो तो उनका प्रभाव नष्ट हो जाता है। मुक्ताशुक्ति मुद्रा मूर्ति की उज्ज्वलता एवं सौम्यता में अधिक निखार लाती है तथा पंच परमेष्ठी मुद्रा के द्वारा मंगल भावों में अभिवृद्धि होती है।
अन्य सुपरिणाम ज्ञानी गम्य है। नूतन बिम्बों को दीपक क्यों दिखाना चाहिए?
प्रतिष्ठा क्रिया के दौरान यह विधि केवलज्ञान के प्रतीक के रूप में की जाती है।