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________________ प्रतिष्ठा सम्बन्धी मुख्य विधियों का बहुपक्षीय अध्ययन ...519 प्रचलित है। जैन, बौद्ध, ईसाई, इस्लाम आदि के सभी धर्माचार्यों ने मन्त्र (इबादत) के साथ न्यास को महत्त्व दिया है। मुद्रा विज्ञान के अनुसार न्यास एक अत्यन्त वैज्ञानिक विधि है । हाथ शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । हाथ की पाँचों अंगुलियों से अलग-अलग विद्युत प्रवाह निकलता है और पाँचों अंगुलियाँ पाँच तत्त्वों की प्रतीक भी हैं। जैसे अंगूठा - अग्नि तत्त्व, तर्जनी - वायु तत्त्व, मध्यमा - आकाश तत्त्व, अनामिकापृथ्वी तत्त्व और कनिष्ठा - जल तत्त्व का नियंत्रक है । इस प्रकार जब हम हाथों की अंगुलियों से निकलने वाले विद्युत प्रवाह द्वारा शरीर के अन्य चक्रों को स्पर्श करते हैं तो उन अंगों में निहित शक्ति जागृत हो जाती है। शास्त्रों में भी इस प्रक्रिया का महत्त्व दर्शाते हुए कहा गया है कि केवल न्यास के द्वारा भी देवता की प्राप्ति और मन्त्र सिद्धि हो जाती है। इससे सिद्ध होता है कि न्यास शक्तियों को जागृत करने की रहस्यमय विधि है। जैसे किसी यन्त्र को संचालित करने से पूर्व उसके मुख्य स्विच को दबाया जाता है, समायोजित (Adjust) किया जाता है तभी वह यन्त्र ठीक प्रकार से कार्य करता है वैसे ही इस शरीर रूपी अद्भुत यन्त्र को भी समायोजित करने के लिए हाथों के विशेष स्पर्श से शरीर के भिन्न-भिन्न चक्रों (स्विच) को ऑन करके जागृत किया जाता है। इससे शरीर में एक जैविक ऊर्जा का निर्माण होता है। तत्फलस्वरूप साधक के विचारों में अदम्य उत्साह, अद्भुत स्फूर्ति और नवीन चेतना का संचार होने लगता है। मन्त्र विज्ञान के अनुसार किसी भी मन्त्र का निरन्तर जप वातावरण में एक विशेष प्रकार की विद्युत तरंग का कम्पन (Electric Vibration) उत्पन्न करता है जिससे साधक की आत्मशक्ति या मनोबल में वृद्धि होती है और संकल्प शक्ति दृढ़ होती है। जब साधित मन्त्र का एक दिव्य भावना के साथ शरीर के विभिन्न अवयवों पर स्पर्श किया जाता है तो भीतर में एक ऐसा आत्मविश्वास उत्पन्न हो जाता है जिससे सभी इच्छित कार्यों में पूर्ण सफलता मिलती है। ईसाइयों में अशुभ का निर्गमन और शुभ का स्थापन करने के लिए हृदय के समीप हाथ को न्यास की तरह क्रॉस बनाते देखा जाता है। यवन धर्म में इबादत या प्रार्थना के समय कई बार न्यास की भाँति हाथों का प्रयोग किया जाता है। इसमें सीधा हाथ उल्टे कंधे पर और उल्टा हाथ सीधे कन्धे पर आ जाता है। इस तरह विभिन्न धर्मों में न्यास क्रिया प्रचलित और प्रवर्तित है।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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