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________________ 390... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन ञ ध न झ ज In2222 थ द छ च त ऋ ऋ ख ग घ ङ भ म आ ल लु क्लीं ह्रीं क्रौं स्वाहा ब अ फ क प औ अं अः ए ऐ ओ व ॐ नमो ल श ष स ह य र कल्याणकलिका में तीन आसन यंत्रों का उल्लेख है। उसमें कहा गया है कि विधिमार्गप्रपा की हस्त प्रति में दो यन्त्र दिये गये हैं। उनमें पहला यंत्र पं. आशाधर के प्रतिष्ठासारोद्धार में कथित विधि के अनुसार बनाया गया है और दूसरा यन्त्र स्वतन्त्र है। कल्याणकलिका में इन दोनों की निर्माण विधि एवं यंत्र चित्र दिये गये हैं दूसरा यंत्र निर्दिष्ट विधि से भिन्न मालूम होता है।28 आजकल 'कूर्म यंत्र' के नाम से प्रसिद्ध तीसरा आसन यंत्र ही रखा जाता है। लगभग तीन इंच समचोरस तांबा का पत्र बनवाकर उसके ऊपर कूर्म का आकार उत्कीर्ण करवाते हैं। फिर उसके ऊपर सुगन्धी द्रव्यों से स्वस्तिक का आलेखन कर उसकी चार पंखुड़ियों के नीचे 'ॐ कूर्म निज पृष्ठे जिनबिम्बं धारय-धारय स्वाहा' यह मन्त्र लिखते हैं। फिर पबासन की जगह के खड्डे में
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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