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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...367 • पुनः शक्रस्तव बोलें। उसके बाद गुरु भगवन्त बिम्ब के आगे बैठकर यह विज्ञप्ति करें
स्वागता जिनाः सिद्धाः प्रसाददाः सन्तु प्रसादं धिया कुर्वन्तु अनुग्रहपरा भवन्तु भव्यानां स्वागतमनुस्वागतम्।
अनुग्रह करने वाले सिद्ध परमात्मा का स्वागत है, ये सिद्ध भगवान ज्ञान के भण्डार हैं, आनन्द को देने वाले हैं एवं दूसरों पर अनुग्रह करने वाले हैं। जिनबिम्ब स्थापना (प्रतिष्ठा) की मूल विधि
सामान्यत: बिम्ब की प्राण प्रतिष्ठा रात्रि में और स्थापना दिन में की जाती है। इसके विपरित प्राण प्रतिष्ठा और स्थापना- दोनों का लग्न समय नजदीक हो तो प्राण प्रतिष्ठा के कुछ समय बाद अन्य शुभ लग्न में प्रतिमा की प्रतिष्ठा करें। उसकी विधि यह है
. सर्वप्रथम शांति देवता मन्त्र से अभिमन्त्रित बलि को शांति हेतु चारों दिशाओं में प्रदान करें।
• फिर चैत्यवंदन करें तथा प्रतिष्ठा देवता के आराधनार्थ एक चतुर्विंशतिस्तव का चिन्तन करें और निम्न स्तुति बोलें
यदधिष्ठिताः प्रतिष्ठाः, सर्वाः सर्वास्पदेषु नंदन्ति ।
श्री जिन बिम्बं प्रविशतु, सदेवता सुप्रतिष्ठ मिदम् ।। तत्पश्चात शासन देवता, क्षेत्र देवता एवं समस्त वैयावृत्यकर देवों के आराधनार्थ पूर्ववत कायोत्सर्ग एवं स्तुति करें। फिर धूप उत्क्षेप करें।
• फिर प्रतिष्ठा लग्न के निकट आने पर सभी लोगों को दूर करके परदा बंधवाएं और बिम्ब के मुख पर से आच्छादित वस्त्र (मातृशाटिका) हटायें। __ • उसके बाद जिनबिम्ब के सामने घी से भरा हुआ पात्र रखें। . • तत्पश्चात चाँदी की कटोरी में एकत्रित सुरमा, घी, मधु, शक्कर, गजमद, कपूर, कस्तुरी युक्त पिष्टी से स्वर्णशलाका के द्वारा वर्ण न्यास करते हुए प्रतिमा के नेत्रों को उद्घाटित करें। वर्ण न्यास मंत्र यह है___"हां ललाटे, श्री नयनयोः, हीं हृदये, रै सर्वसंधिषु, लौ प्राकारः"यह क्रिया कुम्भक पूर्वक (श्वास रोकते हुए) करें।
• उसके पश्चात बिम्ब के मस्तक पर अभिमंत्रित वासचूर्ण डालें। • फिर आचार्य भगवन्त चन्दन एवं अक्षतों से पूजित जिनबिम्ब के दाएँ