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358... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
अक्षत का साथिया करें और उसके ऊपर सात सुपारी रखें। उसके ऊपर चांदी का सवा पैसा एवं पंच तीर्थी धातु की प्रतिमा रखें। थाली नं.2 में सवा किलो चावल एवं सात सुपारी रखें।
थाली नं.3 में गेहूँ के आटे के चार कोने वाले दीपक बनवाकर उसमें घी पूरते हुए प्रज्वलित करें। फिर उसे जाली वाले ढक्कन से ढक दें। इस थाल को पंच धातु प्रतिमा के दाहिनी तरफ लेकर चलें। थाली नं.4 में अक्षत, सवा रुपया एवं अष्ट मंगल का पट्ट रखें।
था नं. 5 में केसर से नन्द्यावर्त्त किए गए दो अंगलूंछणा रखें। एक व्यक्ति यह थाल लेकर जिनबिम्ब के आगे खड़ा रहे ।
थाली नं.6 में दो मिट्टी के घड़े रखकर उनमें सवा सेर चावल, सवा रुपया एवं सात सुपारी डालकर ऊपर में श्रीफल रखें। फिर मुख भाग को हरे या पीले वस्त्र से ढ़ककर कण्ठ भाग को मौली से बांधें। फिर फूलमाला पहनाएं। इन घड़ों को पुत्रवती सौभाग्यवती नारियाँ मस्तक के ऊपर रखकर जिनबिम्ब के दायींबायीं तरफ खड़ी रहें।
थाली नं. 7 में दूध एवं पानी के कलश, केशर, पुष्प, फल, नैवेद्य, अक्षत आदि रखें।
• उसके पश्चात चतुर्विध संघ सहित गाजते - बाजते, अनेक हाथी-घोड़ों के साथ, याचक विरुदावली बोलते हुए, सुहागिन स्त्रियाँ मंगल गीत गाते हुए, निर्धनों को दान देते हुए इस प्रकार जिनशासन की प्रभावना हुए स्थापन
बिम्बों को मंडप द्वार पर लाएं।
• वहाँ सौभाग्यवती नारियों के द्वारा अक्षत एवं श्रीफल चढ़वाएं, सोनाचाँदी - पुष्प-मोती और अक्षत से बधवाएं, जिनबिम्ब को नमस्कार करें। फिर सकल संघ मंडप के अन्दर आएं। फिर स्थापनीय बिम्ब के मुख्य द्वार पर कुंकुम . के हाथ लगाएं। फिर स्थापनीय बिम्ब के आगे पाँच सेर अक्षतों का स्वस्तिक बनाकर उसके ऊपर सुपारी और रुपया रखें।
• तदनन्तर सकल संघ तीन खमासमण देकर प्रभु को वन्दन करें और स्नात्र पूजा पढ़ाएं। अन्य मत में स्नात्र पूजा की जगह आठ स्तुतियों से देववन्दन करते हैं। • उसके बाद बिम्ब लेने हेतु आए हुए गृहस्थ स्थापनीय बिम्ब के परिवार का सत्कार-बहुमान करें। फिर बिम्ब का मालिक भी बिम्ब के लिए आए हुए संघ की शक्ति के अनुसार भक्ति करें।