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350... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
2. द्वितीय पंचरत्न चूर्ण स्नात्र- दूसरा अभिषेक करते समय सर्वप्रथम पूर्वोक्त 'नाना सुगन्धि.' श्लोक बोलकर कुसुमांजलि चढ़ाएं। फिर 'नमोऽर्हत्' पूर्वक निम्न श्लोक एवं मंत्र पढ़ें
नानारत्नौघ युतं, सुगन्ध पुष्पाधिवासितं नीरम् ।
पतताद्विचित्रचूर्णं, मन्त्राढ्यं स्थापना बिम्बे ।। मन्त्र- ॐ हाँ ही परम गुरुभ्यः पूज्य पादेभ्यो गन्धपुष्पादिसम्मिश्र पंचरत्नचूर्ण संयुत जलेन स्नापयामीति स्वाहा।
तदनन्तर 27 बार थाली बजाकर मूर्ति का अभिषेक करें। फिर अभिमन्त्रित चन्दन से तिलक लगाएं, पुष्प चढ़ाएं एवं धूप प्रज्वलित करें।
3. तृतीय पंचगव्य-पंचामृत स्नात्र- तीसरा अभिषेक करते समय पूर्ववत 'नानासुगन्धि.' श्लोक बोलकर कुसुमांजलि चढ़ाएं। फिर 'नमोऽर्हत्' पूर्वक निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़ें
दधि दुग्धघृतछगण प्रस्रवणैः पंचभिर्गवांग भवैः ।
दर्भोदक संमिश्रैः स्नपयामि गुरुवर प्रतिमाम् ।। __ मन्त्र- ॐ ह्रां ह्रीं परम गुरुभ्यः पूज्यपादेभ्यो गन्धपुष्पादि सम्मिश्रस्नापयामीति स्वाहा।
फिर 27 बार थाली बजवाकर मूर्ति का अभिषेक करें। उसके बाद पूर्ववत चन्दन का तिलक लगाएं, पुष्प चढ़ाएं एवं धूप प्रज्वलित करें।
4. चतुर्थ सदौषधि स्नात्र- चौथा अभिषेक करते समय पूर्ववत 'नानासुगन्धि.' श्लोक बोलकर कुसुमांजलि चढ़ाएं। फिर निम्न श्लोक एवं मन्त्र पढ़कर 27 बार थाली बजाकर मूर्ति का अभिषेक करें
सह देव्यादि सदौषधि, वर्गेणोद्वर्तितस्य बिम्बस्य ।
संमिश्रं बिम्बोपरि, पतज्जलं हरतु दुरितानि ।। मन्त्र- ॐ ह्रां ह्रीं परमगुरुभ्यः पूज्य पादेभ्यो सहदेव्यादि-सदौषधिभिः स्नापयामीति स्वाहा। __इसके पश्चात चन्दन का तिलक लगाएं, पुष्प चढ़ाएं एवं धूप प्रज्वलित करें। ____5. पंचम तीर्थोदक स्नात्र- पांचवाँ अभिषेक करते समय 'नाना सुगन्धि.' श्लोक कहकर कुसुमांजलि चढ़ाएं। उसके बाद निम्न श्लोक एवं मंत्र पढ़कर 27 डंका सहित मूर्ति का अभिषेक करें