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312... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
8. ईशान पूजा
सर्वप्रथम ईशान दिशा के अधिपति ईशान को पुष्प एवं सुगन्धित अक्षत चढ़ाते हुए बधायें
ॐ हाँ हूँ हौं हः ईशान संवौषट् (स्वाहा ) तत्पश्चात चंदन से ईशान देव का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से ईशान का आह्वान करें
ॐ नमः ईशानाय ऐशानी पतये त्रिशूलहस्ताय वृषभवाहनाय सपरिजनाय जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा । फिर निम्न मंत्र से ईशान देव की स्थापना करें
अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा
फिर निम्न मंत्रों से ईशान देव की अष्ट प्रकारी पूजा करें1. चन्दनं समर्पयामि स्वाहा - चंदन से पूजा करें। – कुमुद के पुष्प चढ़ायें। - श्वेत रेशमी वस्त्र चढ़ायें ।
2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा 4. फलं समर्पयामि स्वाहा - गन्ने चढ़ायें। 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा - धूप दिखायें। 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा - दीपक दिखायें।
7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा - चावल के आटे का लड्डू चढ़ायें।
8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा । - पान, अक्षत, सुपारी और पैसा आदि चढ़ायें।
फिर स्फटिक की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें।
ॐ ईशानाय नमः
फिर तीन बार निम्न मंत्र कहते हुए ईशान देव को तीन बार अर्घ्य देंॐ हाँ हूँ हौं हः ईशान संवौषट् (स्वाहा )
फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें
सिते वृषेधिरूढश्च, ऐशान्याश्च दिशो विभुः । संघस्य शान्तयेसोऽस्तु बलि पूजां प्रतीच्छतु ।।
9. ब्रह्म पूजा
सर्वप्रथम ऊर्ध्व दिशा के स्वामी ब्रह्म को पुष्प एवं सुगन्धित अक्षत चढ़ाते
हुए बधायें -