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304... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन फिर निम्न मंत्र से केतु ग्रह की स्थापना करें।
'अत्र तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा' फिर निम्न मंत्र से केतु ग्रह की अष्ट प्रकारी पूजा करें1. ॐ नमः केतवे सवाहनाय सपरिकराय सायुधाय चन्दनं समर्पयामि
स्वाहा -कंकु से पूजा करें। 2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा -पंचवर्णी पुष्प चढ़ायें। 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा -काला वस्त्र चढ़ायें। 4. फलं समर्पयामि स्वाहा -अनार चढ़ायें। 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा -धूप दिखायें। 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा -दीपक दिखायें। 7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा -उड़द की दाल के लड्ड चढ़ायें। 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा। पान, अक्षत,
सुपारी, पैसे आदि चढ़ायें। फिर गोमेद की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें।
ॐ केतवे नमः फिर तीन बार निम्न मंत्र कहते हुए केतु ग्रह को तीन बार अर्घ्य दें
ॐ काँ की मैं टःट:टः छत्र रूपाय राहुतनवे केतवे नमः स्वाहा फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
राहोः सप्तमराशिस्थः, कारणे दृश्यतेऽम्बरे ।
__ श्री मल्लिपार्श्वनाम्ना, केतो शान्ति श्रियंकुरु ।। दश दिक्पाल पूजन विधि
शुभ अनुष्ठानों में सहायक होने से दश दिक्पाल की पूजा भी उनके वर्ण के अनुसार करनी चाहिए। इसकी पूजन विधि एवं आवश्यक निर्देश इस प्रकार हैं1. दिक्पाल पट्ट को जिन प्रतिमा के बायीं तरफ रखें। 2. पूजन शुरू करने से पूर्व एक थाली के अन्दर गेहूँ, जौ, जुवार, चवला,
चना, मूंग और उड़द- इन सात धान्यों को मिलाकर उन पर घी से सने हुए हाथों का स्पर्श करें। फिर थाली के मध्य में सुपारी, खारक, नारियल के टुकड़े, नागरवेल के पत्ते और पुष्प डालें। फिर उस थाली को गुरु