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पंच कल्याणकों का प्रासंगिक अन्वेषण 271
भुआ द्वारा करने योग्य भाव - जिस भाई के घर बहन का मान-सम्मान होता है वहाँ भतीजा भुआ के लिए वरदान होता है। भाई के विषय में जो इच्छाएँ अधूरी रह गई हो, वह भतीजे के माध्यम से पूर्ण की जाती है। यह भतीजा कोई सामान्य नहीं है सम्पूर्ण जगत का कल्याण कारक है। भुआ को यह सोचना चाहिए कि अब तक संसार के कई भतीजों को खिलाया, उनके लिए खेलखिलौने लाये, लाड़-कोड़ किये, परन्तु Return में कर्म बंध के अतिरिक्त कुछ भी हासिल नहीं हुआ। जबकि परमात्मा के साथ यह व्यवहार किया जाये तो निःसन्देह मुक्ति रूपी उपहार प्राप्त होगा इस तरह के शुभ परिणामों से यह भुआ का पात्र अदा करना चाहिए।
मामा-मामी द्वारा करने योग्य भाव- भाई की उपस्थिति के बिना बहन का कोई भी कार्य पूर्ण नहीं होता। इसी लौकिक नियम का निर्वहन करते हुए जब तीर्थङ्कर परमात्मा का जन्म होता है तब मामा-मामी, भान्जे के लिए नये वस्त्र, गहने, खिलौने आदि लाते हैं। उस अवसर पर उन्हें यह सोचना चाहिए कि हमें भव-भवान्तर में आपके जन्मादि कल्याणक प्रसंगों को मनाने का सौभाग्य प्राप्त होता रहे तथा तीर्थंकर की माता के रूप में श्रेष्ठ बहन को पाने का गौरव करता हुआ मलीन वृत्तियों को निष्कासित कर सकूँ ।
बहन द्वारा किये जाने योग्य भाव - पंच कल्याणक उत्सव में बहन की भूमिका निभाते हुए यह चिन्तन करना चाहिए कि हे जगदाधार! आपकी बहन बनने का यह अपूर्व अवसर निःसन्देह मेरे लिए अनुमोदनीय है। इस मुक्ति मार्ग पर एक सच्चे भ्राता के रूप में सदा मेरे सहायक बनना, मेरे सद्भावों के रक्षक बनना तथा राग-द्वेषादि कषायों से प्रतिपल रक्षा करते रहना । यही भाई - बहिन के यथार्थ सम्बन्धों की फलश्रुति है।
राज ज्योतिष द्वारा करने योग्य भाव- राज ज्योतिष का दृश्य दर्शाने वाला उन क्षणों में यह विचार करें कि आज मुझे तीन लोक के अधिपति, सर्वोत्कृष्ट पुण्य के धनी, अरिहंत परमात्मा की जन्म कुंडली बनाने या देखने का ही नहीं अपितु एक श्रेष्ठ आत्मा के गुणों एवं परमाणुओं को ग्रहण करने तथा गुणकीर्त्तन करने का अलौकिक अवसर प्राप्त हुआ है।
हे नाथ! यद्यपि मेरा सामर्थ्य नहीं कि मैं आपके भावी जीवन का फलादेश कर सकूं, पर लोक व्यवहार का निर्वहन करना भी आवश्यक है। वस्तुतः आप