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देवद्रव्य
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370... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... 18. अठारह अभिषेक सम्बन्धी देवद्रव्य देवद्रव्य
चढ़ावे 19. लघुशांतिस्नात्र एवं देवद्रव्य देवद्रव्य
बृहत्शान्तिस्नात्र सम्बन्धी
चढ़ावे 20. उद्यापन (उजमणा) का साधारण साधारण साधारण साधारण
उद्घाटन करना 21. सिद्धचक्र पूजन आदि के देवद्रव्य साधारण
चढ़ावे 22. तपस्वी श्रावक-श्राविकाओं
साधारण साधारण को पारणा कराने की बोली 23. दीप प्रज्वलित करना साधारण साधारण साधारण 24. मेहन्दी वितरण
साधारण 25. फलेचुन्दडी, नवकारसी साधारण साधारण साधारण __ आदि का चढ़ावा
जैन धर्म एक Well-managed धर्म है। जैनाचार्यों एवं शास्त्रकारों ने जो भी विधि या मार्ग बताया उसका पूर्ण रूपेण सदुपयोग करने का मार्ग भी उन्होंने निर्दिष्ट किया है। यदि सूक्ष्मतापूर्वक विचार करें तो जैन मन्दिरों की व्यवस्था सनातन मन्दिरों के समान नहीं है। वहाँ न कोई खाता है, न कोई विशेष द्रव्य अत: हर कार्य में हर द्रव्य का प्रयोग कर लेते हैं।
जैन मन्दिरों की अपनी शास्त्रीय व्यवस्था है। देवद्रव्य का उपयोग देवद्रव्य में ही होता है। ऐसे ही अन्य क्षेत्रों के सम्बन्ध में जानना चाहिए। परन्तु आजकल के अधिकांश श्रावक वर्ग एवं पदाधिकारी गण इन सबसे अनभिज्ञ हैं और इसी कारण प्रत्येक द्रव्य का समुचित वर्गीकरण नहीं कर पाते कई बार सब द्रव्य mix हो जाते हैं। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए यहाँ संक्षिप्त में सात क्षेत्र विषयक जैनाचार्यों की मूल अवधारणाओं को प्रस्तुत किया है। जिससे श्रावक वर्ग शास्त्रोक्त आधार पर धार्मिक द्रव्य का सदुपयोग करते हुए जिनशासन की सेवा कर सकें एवं मानसिक संशयों को भी दूर कर सकें।
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