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________________ जिनपूजा की प्रामाणिकता ऐतिहासिक एवं शास्त्रीय संदर्भों में ... 333 102. जिनेन्द्रागमथेन्द्राणी, दिव्यानन्ददायिनी विलेपनैः । अन्वलिप्यत भक्त्यासौ, कर्मलेप विघातनम् ।। हरिवंश पुराण 103. माया ब्रह्मचारिणा पार्श्वभट्टारक प्रतिमा लग्न रत्न हरणं कृतमिति । 104. चंदण सुगन्ध लेओ, जिणवर चलणेसु कुणइ । जो भविओ लहइ तणु, विक्किरियं सुहावस - सुअधवं विमलं ॥ भावसंग्रह, गा. 470-471 105. आभिः पुण्याभिरद्भिः परिमल - बहुलेनामुना चन्दनेन । श्री दृक्पेयैरमीभिः शुचिसदक चयैरुदगमैरेभिरूद्धैः ॥ हृद्यैरेभिर्निवेद्यैर्मख भवनमिमै, दीपयद्भिः प्रदीपैः । धूपैः प्रायोभिरेभिः पृथुभिरपि फलैरेभिरीशंयजामि ।। लघु अभिषेक पाठ ज्ञानपीठ पूजांजलि, पृ. 19 वनस्पतीनां । सिद्धचक्रम् ॥ 106. मन्दार कुन्द-कमलादि पुष्पैर्यजे शुभतमैर्वर द्रव्यसंग्रह ज्ञानपीठ पूजांजलि, पृ. 70-71 107. जात्यादि सत्पुष्प मतल्लिकाभिः, श्री मल्लिकाभिर्भव ताप नुत्यै। व्रतानि सत्य प्रभृतानि, हर्षाद् गुप्तिर्यजामः समितीश्च पंच ॥ ज्ञानपीठ पूजांजलि, पृ. 281 108. बृहत्कथाकोष, कथा 56, पृ. 7-10 109. भेको विवेक विकलोऽप्यजनिष्ट नाके, दन्तैर्गृहीत कमलो जिनपूजनाय । गच्छन् सभा गज हतो जिन सन्मते स, नित्यं ततोहि जिनयं विभुमर्चयामि ॥ पुण्याश्रव कथाकोष, 1/3 114. वही, पृ. 22 115. जैन धर्म और जिनप्रतिमा पूजन रहस्य, पृ. 11 116. भगवद्देवसंधिकृत श्रावकाचार, गा. 1 110. व्रत तिथि निर्णय, पृ. 231-32 111. वही, पृ. 189-190 112. व्रत कथा कोष, उद्धृत - जैन धर्म और जिन प्रतिमा पूजन रहस्य, पृ. 97 113. ज्ञानपीठ पूजांजलि, पृ. 20-21
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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