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292... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म...
रूप में सभी धर्मों में स्वीकृत किया गया है परन्तु भ्रमित मानसिकता एवं दूषित विचारधारा के कारण इसका विरोध कभी हिंसा, कभी आडंबर, कभी जड़ता तो कभी अंधविश्वास के नाम पर हुआ। अपने मत की पुष्टि के लिए कई बार आगमोक्त वचनों का अर्थांतरण करके उत्सूत्र प्ररूपण भी किया गया। कई आगमों का अस्वीकार भी कुछ परम्पराओं में इसी कारण किया गया। वर्तमान में यही आलम्बन Mobile और Laptop के Wallpaper का रूप चुका है क्योंकि आज की Fast Speed की जिंदगी में व्यक्ति हर चीज को अपने समीप लाना चाहता है। मन्दिर आदि जाने का समय व्यक्ति के पास है नहीं तो वह इन्हीं को अपना आलंबन बनाता है।
आलम्बन का अर्थ एवं उसकी आवश्यकता
आलम्बन का सामान्य अर्थ है सहारा या आधार । हर कार्य या लक्ष्य की सिद्धि में कुछ ऐसे महत्त्वपूर्ण पक्ष होते हैं जो कार्य सिद्धि में आधार बनते हैं या एक बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जैसे - खाना बनाने में खाने की Recipie, यात्रा करने में वाहन, बोलने में जुबान आदि। इन आलंबनों के सहारे ही तत्सम्बन्धी कार्यों को पूर्णता दी जा सकती है।
व्यवहार जगत में भी हम देखते हैं कि किसी भी Goal या लक्ष्य को पाने के लिए उस क्षेत्र में पारंगत व्यक्ति का मार्गदर्शन अथवा उसके जीवन का अनुभव ज्ञान कार्य सिद्धि में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होता है। इसी कारण हमारे कमरों में इस तरह की कोई न कोई Photo, पुस्तके आदि मिल ही जाएंगी। हर युवा के कमरे में किसी न किसी Actor, Cricketer, Business Tycoon आदि की photo लगी हुई होती है क्योंकि वह उसका आदर्श या लक्ष्य है।
अब प्रश्न उपस्थित होता है कि आलंबन की आवश्यकता क्यों है? वह लक्ष्य सिद्धि में कैसे आधार बनता है ?
आलंबन का मुख्य हेतु है लक्ष्य पर चित्र को एकाग्र करना । जैसे कि एक निशानेबाज अपने लक्ष्य का भेदन करने से पहले लक्ष्य पर अपना ध्यान एकाग्र करता है तब वह लक्ष्य के किसी एक भाग को अपना आलंबन बनाता है। उस लक्ष्य पर पूर्णरूप से ध्यान केन्द्रित होने पर ही वह लक्ष्य के मेन प्वाइंट का भेदन कर पाता है । इसी प्रकार एक सफल Business man बनने की चाह रखने वाला व्यक्ति किसी बड़े Business man को अपना आदर्श या Role model