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पूजा उपकरणों का संक्षिप्त परिचय एवं ऐतिहासिक विकास क्रम... 211 ढोलक- एक प्रकार का वाद्य उपकरण जिसे पूजा - भक्ति आदि में प्रयुक्त किया जाता है।
जीजें (कांस्यताल) - कांसी के बने हुए प्यालिये जिनकी जोड़ी बजाने हेतु प्रयुक्त की जाती है। इनका प्रयोग पूजन, प्रभु भक्ति, भजन आदि में किया जाता है।
पूजा पेटी - अष्टप्रकारी पूजा योग्य सामग्री को रखने एवं मन्दिर में ले जाने की छोटी पेटी या डिब्बी विशेष जो श्रावकों द्वारा प्रयुक्त की जाती है। वर्तमान में पेटी की अपेक्षा बटुआ या मन्दिर बेग का प्रचलन ही अधिक देखा जाता है। लोहे, प्लास्टिक या स्टील की पेटी का प्रयोग पूजा हेतु नहीं करना चाहिए।
ओरसिया- पत्थर की गोल शिला जो चंदन- केसर आदि घिसने के लिए प्रयोग में ली जाती है उसे ओरसिया कहा जाता है।
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सुखड (चंदन) — चंदन की लकड़ी (मुठिया) जिसे ओरसिया (पत्थर) पर घिसकर केशर, चंदन आदि का मिश्रित विलेपन तैयार किया जाता है उसे सुखड या चंदन कहा जाता है।
जलवटा- स्टैण्ड युक्त कटोरी का ऐसा उपकरण जिसमें न्हवण जल रखा जाता है उसे जलवटा कहते हैं।
पुष्पगृह (फूलघर) - परमात्मा को विराजमान करने के लिए पुष्पों से बना हुआ चंवरी जैसा घर फूलघर कहलाता है। सत्रहभेदी पूजा पढ़ाते समय परमात्मा को पुष्पगृह में विराजमान करते हैं उस समय इसका विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
भंडार- गृहस्थ श्रावकों द्वारा परमात्मा की भक्ति स्वरूप चढ़ाया गया द्रव्य पैसा आदि जिसमें एकत्रित किया जाता है उसे भंडार कहते हैं। अक्षत आदि चढ़ाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह चाँदी, लकड़ी या Silver Polish आदि से बने हुए होते हैं।
त्रिगड़ा- अरिहंत परमात्मा के समवसरण की प्रतिकृति रूप चाँदी आदि से निर्मित तीन गढ युक्त एक उपकरण जिसमें स्नात्र पूजा एवं अन्यपूजन हेतु परमात्मा को विराजमान किया जाता है उसे त्रिगड़ा कहते हैं। इसमें तीन गढ़ या